इक बुद्ध होर व अब यह शहर नहीं बसेगा पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

11
170

सिरसा। (सतीश बांसल) प्रगतिशील लेखक संघ, सिरसा व पंजाबी लेखक सभा, सिरसा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पुस्तक लोकार्पण एवं चर्चा-परिचर्चा कार्यक्रम श्री युवक साहित्य सदन में आयोजित किया गया। पंजाबी लेखक सभा के सचिव डा. हरविंदर सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में सर्वप्रथम मरहूम कॉमरेड बलदेव बख्शी की हमसफर सुशीला बक्शी, कॉमरेड प्रकाश रायसरी, एडवोकेट सुरेश मेहता की माता जी के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम का आगाज पुरुषोत्तम शास्त्री द्वारा प्रस्तुत श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित संत राम उदासी के गीत से हुआ। प्रगतिशील लेखक संघ के प्रधान रमेश शास्त्री ने अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत किया। अध्यक्ष मंडल द्वारा गुरतेज बराड़ के पंजाबी उपन्यास इक बुद्ध होर के लोकार्पण के उपरांत प्रबुद्ध चिंतक कॉमरेड स्वर्ण सिंह विर्क द्वारा समीक्षा प्रस्तुत की गई। का. विर्क ने अपने वक्तव्य में रेखांकित किया कि छोटे आकार का यह उपन्यास हमारे सामाजिक संकटों को उभारने का सार्थक प्रयास है। इस उपन्यास के केंद्र में औसत किसान परिवार की संघर्ष गाथा और जिजीविषा का सजीव चित्रण है। परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए लुधियाना से आए वरिष्ठ उपन्यासकार राम सरूप रिखी ने कहा कि उपन्यास लेखन के लिए घटनाओं का यथार्थबोध जरूरी है। गुरतेज बराड़ का उपन्यास इक बुद्ध होर लेखकीय ईमानदारी का दस्तावेज है। कार्यक्रम के दूसरे भाग में कवि, कथाकार सुरेश बरनवाल के लघुकथा संग्रह अब यह शहर नहीं बसेगा पर परिचर्चा आयोजित की गई। डा. हरमीत कौर, विशाल वत्स, वीरेंदर भाटिया द्वारा पुस्तक से चुनिंदा लघुकथाओं का पाठ किया गया, जिन्हें श्रोताओं की ओर से खूब सराहना मिली। पटियाला से प्रकाशित लघुकथा कलश के संपादक योगराज प्रभाकर ने सुरेश बरनवाल की लघु कथाओं की विस्तारपूर्वक समीक्षा की। योगराज ने कहा कि लघुकथा विद्या भले ही नई नहीं है, लेकिन वर्तमान में इसकी प्रभाव क्षमता जिस तीव्रता से बड़ी उसी मात्रा में अगम्भीर लेखन की चुनौतियां भी दरपेश हैं। योगराज ने रेखांकित किया कि सुरेश संवेदनशील लेखक हैं। कार्यक्रम में योगराज प्रभाकर के लघुकथा संग्रह फक्कड़ उवाच के विमोचन के बाद अपने वक्तव्य में प्रो. हरभगवान चावला ने कहा कि योगराज प्रभाकर का लेखन स्थापित विकसित मानदंडों से परे जाकर मानवीय सरोकारों को मान्यता प्रदान करता हैं। कार्यक्रम के अंत में पंजाबी लेखक सभा के प्रधान परमानन्द शास्त्री ने सार्थक सहभागिता के लिए अतिथियों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। मंच संचालन डा. शेर चंद द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री युवक साहित्य सदन के प्रधान प्रवीण बागला, सचिव लाजपुष्प, प्रो. रूप देवगुण, डा. जीडी चौधरी, ज्ञान प्रकाश पीयूष, राज कुमार निजात, प्रदीप सचदेवा, का. जगरूप सिंह चौबुर्जा, सुरजीत रेणु, नवनीत रेणु, गुरबख्श मोंगा, उर्मिल मोंगा, सुरेश गिरधर, सर्वजीत, गुरजीत मान, राज कुमार शेखूपुरिया, सतीश राजस्थानी, रविंद्र धेतरवाल, नवदीप सिंह, का. सुखदेव जम्मू, अशोक कंसल, कुलवंत सिंह गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

11 COMMENTS

  1. I do agree with all of the ideas you’ve presented in your post. They’re very convincing and will certainly work. Still, the posts are very short for newbies. Could you please extend them a little from next time? Thanks for the post.

  2. In the grand design of things you’ll receive an A with regard to effort. Exactly where you confused us ended up being in the facts. As it is said, details make or break the argument.. And that could not be more accurate at this point. Having said that, allow me tell you exactly what did give good results. Your writing is quite engaging and that is most likely the reason why I am making an effort to comment. I do not make it a regular habit of doing that. 2nd, even though I can notice the jumps in logic you make, I am not convinced of just how you appear to unite your points that produce the conclusion. For now I will yield to your position however trust in the future you connect your facts better.

  3. I loved as much as you’ll receive carried out right here. The sketch is tasteful, your authored material stylish. nonetheless, you command get bought an edginess over that you wish be delivering the following. unwell unquestionably come more formerly again as exactly the same nearly a lot often inside case you shield this hike.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here