जयपुर, राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस की अंतर्कलह एक बार फिर कभी भी सतह पर आ सकती है. इस साल मई-जून में सचिन पायलट (Sachin Pilot) और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बीच हुआ मनमुटाव इस कदर दिक्कत दे गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) द्वारा गहलोत और पायलट के बीच के खराब संबंधों को सुलझाने के लिए बनाई गई विशेष समिति की अब तक तीन दौर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है.
कोविड -19 के चलते समिति का काम रुक गया क्योंकि अहमद पटेल और अजय माकन दोनों कोरोना संक्रमित हो गए हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एहतियात के तौर पर लोगों से ना मिलने का फैसला किया है.
इन दो घटनाओं ने दिए संकेत
लेकिन हाल ही की दो घटनाओं से संकेत मिलता है कि परेशानी बढ़ सकती है. सबसे पहले सचिन पायलट के मीडिया मैनेजर लोकेंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर है का मामला है, जिसमें उन्हें अदालत से राहत मिल गई है, लेकिन राज्य में राजनीतिक संकट के बीच जैसलमेर में एक होटल में रहने के दौरान ‘कांग्रेस विधायकों के फोन टैपिंग’ पर रिपोर्टिंग के लिए FIR की गई थी.
IPC की धारा 505 (1), 505 (2), 120 बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 76 के तहत एफआईआर की गई है. दूसरा मुद्दा राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में मंजू शर्मा की नियुक्ति है. वह कुमार विश्वास की पत्नी हैं और विश्वास ने अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और पायलट कैंप के कुछ लोग इसे गहलोत सरकार की ओर से असंवेदनशीलता बता रहे हैं. इसके अलावा आयोग के अन्य नए सदस्यों को गहलोत के करीबी लोगों को सौंप दिया गया.
विरोधियों को ऐसे साध सकते थे गहलोत!
अशोक गहलोत के विरोधी एक नेता ने कहा कि इसके जरिए विरोधी नेताओं को विश्वास में लिया जा सकता था. दूसरी ओर गहलोत खेमे के लोगों का कहना है कि पायलट की चुप्पी को नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि वह सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं. एक अंदरूनी सूत्र ने कहा ‘वह यात्रा कर रहे हैं, लोगों से मिल रहे हैं और ट्विटर पर भारी भीड़ की तस्वीरें ट्वीट की जा रही हैं. यह स्पष्ट रूप से अशोक गहलोत के खिलाफ खुद को प्रोजेक्ट करने की कोशिश है. इस तथ्य से कोई इनकार नहीं है कि उनकी महत्वाकांक्षा है और चीजें फिर से खराब हो सकती हैं.’
केंद्र में कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, सचिन पायलट को आश्वासन दिया गया था, लेकिन बदले में उन्हें गहलोत के खिलाफ नहीं बोलने के लिए कहा गया. अब तक केंद्रीय नेतृत्व को कोई शिकायत नहीं है लेकिन यह अच्छी तरह से पता है कि राजस्थान एक लाक्षागृह पर बैठा है और उसमें कभी भी आग लग सकती है.(UNA)
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