UNA दिल्ली ब्यूरो
दिल्ली में चुनावी हलचलों के बीच 1 फरवरी को बहुत दर्दनाक हादसे में एक सीवर मज़दूर की मौत हो गयी और दूसरा मज़दूर आज भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है. यह हादसा कड़कड़डूमा कोर्ट के ठीक पीछे CBT पार्क से हो कर गुजरने वाले गहरे सीवर की सफाई करते समय हुआ. बिना किसी सुरक्षा उपकरण और किसी एहतियात के 18 फ़ीट गहरे सीवर में उतरे रवि (उम्र 25 वर्ष) की जहरीले गैस की चपेट में आने से तत्काल मौत हो गयी जबकि साथ में उतरे दूसरे मज़दूर संजय (उम्र 40) भी गैस की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गया. ये दोनों ही मज़दूर संजय अमर कॉलोनी के रहने वाले हैं.
सीवर की सफाई के लिए DDA के दो ठेकेदार शैंकी और महेंद्र गिरि ने उपरोक्त दोनों मज़दूरों को बुलाकर ले आये. हालांकि दिल्ली सरकार के अंतर्गत दिल्ली जल बोर्ड ने कोर्ट में हलफनामा डाला हुआ है कि दिल्ली में सीवर सफाई का काम मशीन से हो रहा है. यदि मैन्युअल वर्क करते हुए कोई मज़दूर पाया जाता है तो उसे पूरे सुरक्षा उपकरण मुहैया कराया जाता है. लेकिन बदकिस्मती यही है कि लोग मज़बूरी में इन गैस चैम्बर में मरने के लिए चले जाते हैं. ज्ञातव्य हो कि इन दोनों मज़दूरों को फायर ब्रिगेड ने निकाला और तत्काल समीप के हस्पताल हेडगवार स्वास्थ्य केंद्र में दाखिल किया जहां रवि को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. जबकि दूसरे मज़दूर संजय को इमरजेंसी वार्ड में दाखिल किया गया. लेकिन हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे लोकनायक -जयप्रकाश नारायण अस्पताल के सघन चिकित्सा कक्ष में रखा गया है, जहां उसकी हालत अभी भी नाज़ुक बानी हुई है.
इस हादसे की जांच करने अशोक टांक, के नेतृत्व में एक टीम घटना स्थल पर गयी और पीड़ितों के परिवार से भी मिले. अशोक टांक दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच से हैं और दो लोग नेशनल कैंपेन फॉर डिग्निटी , सीवर & अलाइड वर्क्स से थे. ज्ञातव्य हो कि इस घटना की प्राथमिकी आनंद विहार थाने में दर्ज कराइ गयी है और पुलिस इस हादसे की जांच कर रही है. ठेकेदार घटना के समय से फरार हैं. अशोक टांक ने UNA को बताया कि किसी भी पीड़ित को कोई मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. एसडीएम दफ्तर से कुछ अधिकारी आये थे और शीघ्र मुआवजा का आश्वासन देकर चले गए हैं.
जांच टीम के सदस्यों ने बताया कि दिल्ली सरकार बहुत सफाई से झूठ बोल रही है और अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाह रही है. लगातार सीवर में मौतों पर कुछ दिन तो चर्चा होती है लेकिन फाइल फिर ठन्डे बास्ते में चली जाती हैं. जरूरी है सीवर कर्मचारियों को सामुदायिक स्तर पर तथा आर्थिक स्तर पर वैकल्पिक रोज़ी रोटी मुहैया कराने की तथा साथ ही मैन्युअल वर्क के लिए हर जरूरी सुरक्षा उपकरण देने और ट्रेनिंग की|
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