
प्रदेश में करीब 100 तहसीलदार और ज्यादातर नायब तहसीलदार इस समय पैदल चल रहे हैं। वे बिना वाहन और वैकल्पिक व्यवस्था के ही कोरोना के नियंत्रण से लेकर राजस्व विवादों के निस्तारण में जूझ रहे हैं। इससे नायब तहसीलदार-तहसीलदार संवर्ग में गहरी नाराजगी है।
प्रदेश में तहसीलदार के करीब 700 और नायब तहसीलदार के 1275 पद हैं। इन्हें शासन की ओर से वाहन देने जबकि नायब तहसीलदारों को हर तहसील में आउटसोर्सिंग पर वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। संवर्ग के अधिकारी बताते हैं कि करीब 100 से ज्यादा तहसीलदारों के वाहन कंडम हो चुके हैं।
टेंडर के जरिए नीलामी की जा चुकी है, लेकिन नए वाहनों की खरीद नहीं हो रही है। इन वाहनों के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है। इसी तरह फरवरी-2019 में नायब तहसीलदारों के लिए प्रत्येक तहसील में एक वाहन आउटसोर्सिंग से देने का आदेश था। इसके लिए पिछले दो वित्तीय वर्ष से बजट में 40 करोड़ रुपये की व्यवस्था है।
सीएम व मुख्य सचिव से की गई मुलाकात
350 तहसीलों में से 200 तहसीलों में अब तक आउटसोर्स की व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है। इसके कारण पैमाइश, बाढ़ और कोरोना अलावा कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने में परेशानी हो रही है। अध्यक्ष राजस्व अधिकारी संघ के निखिल शुक्ला ने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व मुख्य सचिव आरके तिवारी से मुलाकात की गई।
दोनों स्तर से संघ के साथ वार्ता के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व को निर्देशित किया गया। लेकिन, महीनों बीतने के बाद भी समस्या के समाधान की पहल नहीं हुई। सरकार से आग्रह है कि वाहन व्यवस्था सहित अन्य समस्याओं के समाधान की कार्रवाई प्राथमिकता पर की जाए।