म.प्र. जिला :- बैतूल सारनी क्षेत्र* एक बेटी ने अपने पिता की अंतिम यात्रा के साथ उनके पार्थिव शरीर को दी मुखाग्नि

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हमारे भारत की पुरानी परंपरा के अनुसार माता या पिता की मृत्यु के बाद केवल उनका पुत्र ही उनके पार्थव शरीर को मुखाग्नि देता है । लेकिन आज के आधुनिक भारत मे “बेटा-बेटी एक समान” के नारे के साथ बेटी को भी वो सारे अधिकार मिले है जो बेटे को मिले थे ।
ऐसा ही नजारा सारनी थाना के पाथाखेड़ा क्षेत्र में देखने को मिला ।
पाथाखेड़ा के न्यू मार्केट के जगजीवन नगर के निवासी धनराज नागले उम्र 65 वर्ष जो कि मजदूरी का कार्य करते थे । विगत 10 से 12 वर्ष से लकवे की बीमारी से ग्रसित थे । जिनका निधन आज हुआ । इनकी एक ही पुत्री शालनी नागले (बिट्टू) उम्र 18 वर्ष है जो भोपाल में नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है । पिता की मजदूरी की कमाई से घर का खर्च व बेटी की पढ़ाई चल रही थी । लेकिन पिता की बीमारी से ग्रसित होने के बाद सारा भार माता के ऊपर आ गया और माता ने भी कोई कमी नही की बीमार पति की सेवा, घर के खर्च एवं बेटी की पढ़ाई के खर्च मे । नागले जी के निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और यह खबर मिलते ही रिस्तेदार एवं मोहल्ले के लोग इकठा होने लगे और दिव्यांक आत्मा की शांति व परिवार को इस दुख से लड़ने की शक्ति की प्रार्थना ईश्वर से करते हुए । नागले जी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए । पाथाखेड़ा के तिगड्डा स्तिथ मोक्चधाम में अंतिम संस्कार के दौरान बेटी के द्वारा मुखाग्नि दी गई । यह देख वह मौजूद सभी लोगो की आंखे नम रही ।

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