रांची, अफगानी नागरिक गुलाम सरवर खान ने रांची के कांके रोड स्थित कटहलगोंदा मौजा में 91 डिसमिल जमीन खरीद ली। उसने जब होल्डिंग के लिए रांची नगर निगम में आवेदन दिया तो रांची नगर निगम ने यह कहते हुए उसके आवेदन को अस्वीकृत कर दिया कि अफगानी नागरिक के नाम पर होल्डिंग जारी नहीं किया जा सकता है। इसी बीच एक दूसरा दावेदार सामने आ गया, जिसने खुद को उस जमीन का रैयती घोषित कर दिया और उससे संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किया।
अभी यह मामला चल ही रहा था कि सरकार ने उक्त जमीन को कैसरे हिंद प्रकृति का बता दिया। इधर अफगानी नागरिक ने उक्त जमीन पर विवाद उठता देख उसकी रजिस्ट्री देवघर के तीन और रांची के एक व्यक्ति को कर दी है। अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि जब जमीन सरकारी प्रकृति की है तो उसकी रजिस्ट्री कैसे हुई और रसीद कैसे कटने लगी। रजिस्ट्री कार्यालय से लेकर अंचल कार्यालय तक के तत्कालीन पदाधिकारी-कर्मी संदेह के घेरे में हैं।
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फेरीवाला बनकर अफगानिस्तान से भारत आया था गुलाम सरवर
गुलाम सरवर मूल रूप से अफगानिस्तान के गजनी जिले के खैरकोट का रहने वाला है। वह भारत में 1953 में आया था। उसने अपना पेशा पुराने कपड़ों के हॉकर के रूप में बताया था। अपना पता रांची के रातू के काठीटांड़ स्थित हुरहुरी में बताते हुए कांके रोड के कठहरगोंदा में 91 डिसमिल जमीन खरीद ली थी। उसने नगर निगम में होल्डिंग के लिए आवेदन दिया था कि उसका कठहरगोंदा ग्राम में मकान, बाड़ी व आंगन है।
उसके प्लॉट की मालगुजारी, छप्परबंदी रसीद अंचल पदाधिकारी के यहां से कट रहा है। यह जमीन उसने हुकमनामा के माध्यम से लिया था और उसपर दखलकार है। उसके आवेदन को 11 अप्रैल 1988 को नगर निगम ने यह आदेश देते हुए खारिज कर दिया कि आवेदक गुलाम सरवर भारतीय नहीं, अफगानी नागरिक है, इसलिए उसका आवेदन खारिज किया जाता है।
इसके बाद वर्ष 2016 में उसने उक्त जमीन को रजिस्टर्ड डीड से देवघर के शिवशंकर वर्णवाल, राम बल्लभ वर्णवाल, परमानंद पंडित के अलावा रांची के सदर थाना क्षेत्र निवासी तुलसी प्रसाद केजरीवाल को बेच दिया। जब खरीदारों ने दाखिल खारिज के लिए अंचल कार्यालय में आवेदन दिया तो वह जमीन कैसरे हिंद प्रकृति की निकली। अंचल कार्यालय ने म्यूटेशन के आवेदन को खारिज कर दिया है।
दावेदार इंद्रदेव पाहन का तर्क
दूसरे दावेदार इंद्रदेव पाहन ने उस जमीन पर अपनी दावेदारी की। उनका कहना है कि वे कटहलगोंदा मौजा के बड़का सुखराम मुंडा के बेटे हैं। वर्ष 1968 तक उक्त जमीन पर कांके अंचल से उनकी रसीद भी कटती रही। जब वह जमीन कांके अंचल से सदर अंचल का हिस्सा बनी तो रसीद कटना बंद हो गया। वे कोर्ट में गए तो उनके पक्ष में फैसला हुआ व रसीद काटने का आदेश हुआ, लेकिन रसीद नहीं कटी। सरकारी दस्तावेज के अनुसार उक्त जमीन कैसरे हिंद की है। बोले रांची के उपायुक्त
मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं है। अगर यह जमीन कैसरे हिंद की है और उसकी खरीद-बिक्री हो रही है तो यह गंभीर मामला है। इसकी जांच होगी और जो भी दोषी होंगे, उनपर कार्रवाई की जाएगी। छवि रंजन, उपायुक्त, रांची। कांके में जमीन घोटाला, खुफिया विभाग ने डीजीपी को सौंपी रिपोर्ट
रांची के कांके प्रखंड स्थित नगडी़ मौजा के गैर मजरूआ, भूईहरी तथा पहनई जमीन पर भू-माफिया के अवैध कब्जे पर राज्य सरकार की खुफिया एजेंसी ने डीजीपी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में अपने सात सहयोगियों के साथ जमीन घोटाला करने के मामले में दागी कमलेश का कच्चा चिट्ठा भी खोला गया है। रिपोर्ट के अनुसार नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के पीछे रिंग रोड से सटे जुमार नदी तक लगभग 500 मीटर की लंबाई में जुमार नदी का अधिकतर हिस्सा सूखा रहने के चलते भू-माफिया उसका समतलीकरण कर लिया और रैयत जमीन दिखाकर उसे बेचने की साजिश की।
इसमें खाता नंबर 136, 142, 323, 267, 89, 236, 101, 314, 283, 322, 237, 285 आदि शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार उमेश टोप्पो नामक एक व्यक्ति ने आदिवासियों को डरा-धमकाकर जोर-जबरदस्ती एवं बिना पूरी राशि दिए उनकी आर्थिक परिस्थितियों का फायदा उठाया और अवैध तरीके से 5-6 एकड़ जमीन का समतलीकरण कर अपने कब्जे में ले लिया। सभी जमीन पर कब्जा करने में कांके रोड के रिवर व्यू गार्डेन निवासी कमलेश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वह जमीन दलाली में लिप्त रहा।
रिपोर्ट के अनुसार कांके के चामा मौजा में अवैध रूप से बिक्री एवं बंदोबस्त पाए गए जमीन, जिसमें पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की पत्नी पूनम पांडेय को भी बिक्री किया गया था, उसमें भी कमलेश की संलिप्तता थी। कमलेश के अन्य सहयोगियों में पंकज दास, उमेश टोप्पो, अमृत, अमित, मंटू टोप्पो, शंकर कुजूर व राजेश लिंडा का नाम सामने आया है। इसमें एक आरोपित का कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा से लिंक का भी जिक्र रिपोर्ट में है।
कमलेश कुमार रिवर व्यू गार्डेन कांके का प्रोपराइटर है। मामला उजागर होने के बाद कमलेश के खिलाफ कांके थाने में 27 नवंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद जेसीबी से उक्त भू-खंड पर समतलीकरण का कार्य जारी रहा, जिसके बाद राजस्व उप निरीक्षक ने रंजीत कुमार ने 30 नवंबर को भी कांके थानेदार को अपनी रिपोर्ट दी थी।
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