कैमूर: सावित्रीबाई फुले की 192 वीं जयंती रविदास आश्रम में मनायी गयी

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विनोद कुमार राम
यूएनए संवाददाता, कैमूर

प्रथम महिला शिक्षिका,महान समाज समाज सुधारक तथा नारी मुक्ति की प्रणेता सावित्री बाई फुले की 192 वीं जयंती रविदास आश्रम भभुआ में मनाई गई। इस मौके पर एक सभा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता रामसूरत राम सचिव अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ कैमूर तथा संचालन जय शंकर राम जिला समन्वयक विकास मित्र कैमूर तथा प्रदेश प्रवक्ता विकास मित्र संघ बिहार ने किया।

इस कार्यक्रम में सबसे पहले सावित्रीबाई फुले की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके जीवन पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए उनके बताए हुए सिद्धांतों पर चलने का संकल्प लिया गया। स कार्यक्रम के उद्घाटन भूवैज्ञानिक मोतीलाल गौतम ने किया।

इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बसपा प्रदेश सचिव सह जॉन इंचार्ज राम इकबाल राम ने कहा कि देश की सभी जाति-धर्म की लड़कियों और महिलाओं को सावित्रीबाई फुले के बारे में जानकारी अवश्य रखनी चाहिए।

सावित्रीबाई फुले ने अपना जीवन सिर्फ लड़कियों को पढ़ाने और समाज को ऊपर उठाने में लगा दिया। 17 साल की छोटी सी उम्र में ही सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों को शिक्षित करना शुरू किया था। पूर्व जिला अध्यक्ष बामसेफ आर.के. गौतम ने कहा कि पहला स्कूल 1 जनवरी 1848 को महात्मा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले ने खोला था।

सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों के लिए कुल 18 स्कूल खोलें, बता दें कि उन्होंने 18 वां स्कूल भी पुणे में ही खोली था। शिक्षक संतोष प्रसाद ने कहा कि सावित्रीबाई फुले जब कन्याओं को पढ़ाने के लिए स्कूल जाती थीं तब रास्ते में लोग उन पर गंदी कीचड़, गोबर, विस्टा तक फेंका करते थे, इसलिए सावित्रीबाई फुले एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं।

सभा की अध्यक्षता कर रहे रामसूरत राम ने कहा कि लोग उन पर गोबर-माटी फेककर उनका अपमान करते रहे उसके बावजूद भी वह सब अपमान, अत्त्याचार सह कर भी भारत की बेटियों को पढ़ाती रहीं और उनको शिक्षित किया। अपने पति महात्मा ज्योतिबा फूले के साथ मिलकर लड़कियों के लिये शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के लिये कई कार्य किये।

संचालन कर रहे जयशंकर राम जिला समन्वयक जिला समन्वयक प्रदेश प्रवक्ता विकास मित्र संघ बिहार ने कहा कि 10 मार्च 1897 को प्लेग महामारी में सावित्रीबाई फुले प्लेग के मरीजों की सेवा कर रही थी।

प्लेग से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया और इसी कारण से इनका निधन हो गया। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक बाल हत्या प्रतिबंधक गृह नामक सेंटर की स्थापना की गई थी।

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