सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एवं जस्टिस पर चढ़ा आरक्षण का भूत एस सी/एस टी ने मिलकर उतारा : सुप्रीम कोर्ट के हाई बेंच यानी मुख्य न्यायाधीश एवं जस्टिस के ऊपर चढ़ा आरक्षण का भूत एस सी, एस टी ने मिलकर उतारा, जहा से जनता की उम्मीद थी एक आशा की नई किरण जगी थी वही से निराशा नजर आया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं जस्टिस के बुरे शक्त रवैए ने जनता में उबाल ला दिया है कहने का अर्थ यह है कि SC/ST आरक्षण के तहत क्रीमिलेयर लाकर जनता में भूचाल ला दिया है जनता सड़कों एवं रोडो पर उतर आई है लोगो का जीना दुश्वार हो गया है न रात के चैन से नींद और न दिन के आराम, सब हराम हो गया है देश को विकसित करने के स्थान पर जनता में बिखराव पैदा कर कई वर्षो के लिए पीछे छोड़ दिया गया है।
आरक्षण में क्रीमिलेयर का क्या भूमिका है?
आरक्षण में क्रीमिलेयर का भूमिका एस सी/एस टी के उन लोगो एवं समुदायों से है जो उच्च आय वर्ग में आते है अर्थात् जिनका एक साल का स्रोत आठ लाख से अधिक है जिनको रिजर्वेशन मिलता है जो प्रमोशन में एक रामबाण सिद्ध होता है इसकी शुरुआत 1993 में हुई थी इसके साथ-साथ उप वर्गीकरण कर लोगो में विभाजन करना, कोटे में कोटे को बाटकर उनमें हिंसा और नफरत की आग फैलाना या अलगाव करवाना इसका खास मकसद है।
एस सी/एस टी के आरक्षण में सेंध मारी :
एसी/एसटी के आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं जजों ने की सेंधमारी इन समुदायों में उच्च आय से अधिक अर्थात् एक वर्ष में 8 लाख आय से अधिक परिवारों वालो को आरक्षण के कोटे से बाहर रखने की कवायद शुरू की जा रही है ।
2024 में केंद्र सरकार ने एस सी/एस टी के आरक्षण के बारे में इन समुदायों के बीच सीमा के भीतर अलग से वर्गीकरण कर सकता है।
एसीसी/एसटी आरक्षण में सत्ताधारी नेताओ ने बनाया पैंतरा और सुप्रीम कोर्ट से अजमाया दाव पेंच: आरक्षण में सत्ताधारी नेताओ ने बनाया पैंतरा और सुप्रीम कोर्ट से खेला दाव पेंच और अपना पलड़ा झाड़ लिया फसा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस, जनता में छाया आक्रोश सड़को पर उमड़ा जन सैलाब कोर्ट ने बदला अपना पैंतरा इसमें सत्ताधारी नेता भी शामिल।
बाबासाहब भीम राव अंबेडकर के द्वारा लिखे गए संविधान में एसी सी/एस टी के जो आरक्षण का व्यवस्था किया गया है उसमे कोई क्रीमीलेयर का प्रावधान नहीं है केंद्र सरकार संविधान के प्रति और जनता के प्रति कटिबद्ध है देश संविधान से चलता है देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक संविधान के कानून/ नियम का पालन करते है फिर भी केंद्र सरकार थोड़ा से गफलत में क्यों पड़ा है सत्ताधारी नेताओ के चक्कर में पड़कर संविधान के नियम/ कानून को भूलकर उलंघन करने वाले उनको अपने पद- प्रतिष्ठा, मान सम्मान का थोड़ा ख्याल नहीं है कि कौन है और कहा पर है जनता केंद्र से है और केंद्र जनता से है केंद्र सरकार को चाहिए की अपना वफादारी और ईमानदारी से न्याय की छबि जनता में बनाकर रखे ।यदि जनता का विश्वास केंद्र के प्रति एक बार रूठ गया तो उनका विश्वास लाना कोर्ट को नामुमकिन हो जायेगा इसलिए कोर्ट को चाहिए की जनता में मतभेद न फैलाए उन्हें एक साथ जोड़कर रखे। उनसे जनता का अपील है कि केंद्र सरकार अपना छबि को बना करके रखे जिसका न्याय है सही न्याय दिलाए और जिसका हक है सही हक दिलाए जनता के उम्मीदों पर खरा उतरे।